पाषाण युग, वैज्ञानिक उन्नति और सत्-त्रेता-द्वापर-कलि इन चारों युगों का बार-बार आना-जाना बना रहता है।
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4. ऐसा प्रयत्न जिसमें अनेक स्थानों पर बार-बार आना-जाना तथा अनेक आदमियों से मिलना और उनसे अनुनय-विनय करना पड़े।
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शरीर का वह बीच-वाला भाग जिसमें छाती, पीठ और पेट है3. कामयाबी, सिद्धि।4. ऐसा प्रयत्न जिसमें अनेक स्थानों पर बार-बार आना-जाना तथा अनेक आदमियों से मिलना और उनसे अनुनय-विनय करना पड़े।5. दक्ष, प्रवीण, कुशल6.
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गोरा को अपने कमरे में ले जाकर महिम ने पूछा, '' बुरा मत मानना भाई, पहले पूछ लूँ कि कहीं तुम्हें भी विनय की छूत तो नहीं लग गइ? उस इलाके में बार-बार आना-जाना होने लगा है।